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वो गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा,
निभाना पड़ेगा,
करके बहाना कोई,
तुमको कन्हाई फिर से,
आना पड़ेगा,
वों गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा।।
तर्ज – जो वादा किया वो।
तरसते हैं मोहन,
तुम्हारे लिये हम,
भला कौन समझेगा,
हम सबके ये गम,
तेरे लिए क्या न किये,
छोड़ो तरसाना तुमको,
आना पड़ेगा,
वों गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा।।
छोड़ो बजाना,
बंशी पे ताने,
अब ना चलेंगे,
कोई बहाने,
मानो कहा तेरे बिना,
जग है बिराना,
तुमको आना पड़ेगा,
वों गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा।।
दिखादे तू जलवा,
सारे जगत को,
तरसता है ‘राजेन्द्र’,
तेरे दरश को,
कोई कहे मुझको भले,
तेरा दीवाना,
तुझको आना पड़ेगा,
वों गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा।।
वो गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा,
निभाना पड़ेगा,
करके बहाना कोई,
तुमको कन्हाई फिर से,
आना पड़ेगा,
वों गीता का वादा,
निभाना पड़ेगा।।
गीतकार / गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
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