घनश्याम तुम्हारे मंदिर में मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ लिरिक्स | ghanshyam tumhare mandir mein lyrics

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घनश्याम तुम्हारे मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ,
वाणी में तनिक मिठास नहीं,
पर विनय सुनाने आई हूँ।।

मैं देखूं अपने कर्मो को,
फिर दया को तेरी करूणा को,
ठुकराई हुई मैं दुनिया से,
तेरा दर खटकाने आई हूँ,
घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ।।

प्रभु का चरणामृत लेने को,
है पास मेरे कोई पात्र नहीं,
आँखों के दोनों प्यालों में,
मैं भीख मांगने आई हूँ,
घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ।।

तेरी आस है श्याम निवाणीअणु,
तेरी शान है बिगड़ी बना देना,
तुम स्वामी हो मैं दासी हूँ,
संबंध बढ़ाने आई हूँ,
घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ।।

समझी थी मैं जिन्हें अपना,
सब हो गए आज बेगाने है,
सारी दुनिया को तज के प्रभु,
तुझे अपना बनाने आई हूँ,
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घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ।।

घनश्याम तुम्हारे मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ,
वाणी में तनिक मिठास नहीं,
पर विनय सुनाने आई हूँ।।

स्वर – श्री विनोद अग्रवाल जी।

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