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अरे माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय,
मैं समझाऊँ तोय,
कन्हैया मैं समझाऊँ तोय,
अरें माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय।।
नव लख धेनु तेरे बाबा के,
नव लख धेनु तेरे बाबा के,
नित नयो माखन होय,
अरें माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय।।
कमी नाही तेरे काहू की,
कमी नाही तेरे काहू की,
हँसी हमारी होय,
अरें माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय।।
बरसाने ते तेरी होय सगाई,
बरसाने ते तेरी होय सगाई,
नित प्रति चर्चा होय,
अरें माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय।।
बड़े घरन की राजदुलारी,
बड़े घरन की राजदुलारी,
नाम धरेंगी तोय,
अरें माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय।।
अरे माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय,
मैं समझाऊँ तोय,
कन्हैया मैं समझाऊँ तोय,
अरें माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय।।
स्वर – श्री मृदुलकृष्ण जी शास्त्री।}]