वृंदावन की इन कुंज गलिन में खुशबू बिहारी जी की आती है | vrindavan ki in kunj galin me khushbu bihari ji ki aati hai lyrics

Join us for Latest Bhajan Lyrics Join Now

वृंदावन की इन कुंज गलिन में,
वृँदावन की इन कुंज गलीन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है,
मन में समा के मुझे मदहोश बनाके,
दर पे बिहारी के ले जाती है,
वृँदावन की इन कुंज गलीन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है।।

तर्ज – गोरी है कलाईयाँ।

ऐसी सुगंध छाई है चहुं ओरी,
रसीको को खींच लेती बांध प्रेम डोरी,
जग को भुलाए यह दिल में समाए,
प्रेमियों के मन को यह भाती है,
वृँदावन की इन कुंज गलीन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है।।

धन्य वृंदावन में बहे पुरवइया,
लता पता महके फूल और कलियां,
पुष्प पुष्प में हर कली कली में,
दिव्य सुगंध भर आती है,
वृँदावन की इन कुंज गलीन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है।।

एक बार आकर यहां करले विचरण,
कण-कण सुगंधित हैं वातावरण,
खुद महकोगे सबको मेहकाओगे,
खुशबू जीवन महकाती है,
वृँदावन की इन कुंज गलीन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है।।

जब से लगा है वृंदावन का चस्का,
बन गए पागल पीके प्याला प्रेम रस का,
सुन लो मित्र कहे ये ‘चित्र विचित्र’,
ये जीवन पवित्र बनाती है,
वृँदावन की इन कुंज गलीन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है।।

वृंदावन की इन कुंज गलिन में,
वृँदावन की इन कुंज गलीन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है,
मन में समा के मुझे मदहोश बनाके,
दर पे बिहारी के ले जाती है,
वृँदावन की इन कुंज गलीन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है।।

गायक – श्री चित्र विचित्र जी महाराज जी।
प्रेषक – शेखर चौधरी मो – 9754032472}]

Leave a Comment