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मेरे साँवरे के खेल तो निराले है,
निराले है जी निराले है,
निराले है जी निराले है,
अपने भक्तों के सांवरा रूखाले है,
मेरे सांवरे के खेल तो निराले है।।
फरमान जग में इन्ही का चला है,
पत्ता भी इनकी रजा से हिला है,
इनकी महिमा से हमतो अनजाने है,
इनकी महिमा से हमतो अनजाने है,
मेरे सांवरे के खेल तो निराले है।।
विश्वास भगवन सदा बढ़ता जाए,
कष्टों को सहकर भी हम मुस्कुराए,
हारो के आप तो सहारे है,
हारो के आप तो सहारे है,
मेरे सांवरे के खेल तो निराले है।।
पीड़ा ह्रदय की तुम्हे ही सुनाऊँ,
तुमसा मददगार कहो कहाँ पाऊं,
‘नंदू’ तो तेरे ही हवाले है,
‘नंदू’ तो तेरे ही हवाले है,
मेरे सांवरे के खेल तो निराले है।।
मेरे साँवरे के खेल तो निराले है,
निराले है जी निराले है,
निराले है जी निराले है,
अपने भक्तों के सांवरा रूखाले है,
मेरे सांवरे के खेल तो निराले है।।
स्वर – नंदू जी शर्मा।}]