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मिला दो श्याम से उधो,
तेरा गुण हम भी गाएंगे।।
मुकुट सिर मोर पंखन का,
मकर कुण्डल है कानों में,
मकर कुण्डल है कानों में,
मनोहर रूप मोहन का,
देखकर दिल को रिझाएंगे,
मिला दों श्याम से उधों,
तेरा गुण हम भी जाएंगे।।
हमन को छोड़ गिरधारी,
गये जब से नहीं आए,
गये जब से नहीं आए,
उन्ही के चरणों में सिर धर,
के हम उनको मनाएंगे,
मिला दों श्याम से उधों,
तेरा गुण हम भी जाएंगे।।
प्रेम हम से लगाकर के,
बिसारा नन्द नंदन ने,
बिसारा नन्द नंदन ने,
खता क्या हो गई हमसे,
अर्ज़ अपनी सुनाएंगे,
मिला दों श्याम से उधों,
तेरा गुण हम भी जाएंगे।।
कभी फिर आप गोकुल में,
हमें दर्शन दिखाएंगे,
हमें दर्शन दिखाएंगे,
तो ‘ज्ञानानन्द’ हम उनको,
नहीं दिल से भुलाएंगे,
मिला दों श्याम से उधों,
तेरा गुण हम भी जाएंगे।।
मिला दो श्याम से उधो,
तेरा गुण हम भी गाएंगे।।}]