Join us for Latest Bhajan Lyrics
Join Now
थोड़ी पलका नै उघाड़ो बाबा श्याम,
भगत थां रै द्वार खड़्यो।।
तर्ज – थे तो आरोगो नी मदन गोपाल।
अपणो जाण कै थां नै बाबा,
थां की शरणां आयो,
लाखां नै थे गळै लगाया,
मन्नै क्यूं बिसरायो,
एकर देखो म्हां रै कानीं घनश्याम,
भगत था रै द्वार खड़्यो।।
इतरो तो मैं जाणूं होसी,
मेरी आज सुणाई,
आंख्यां मीच कै बैठ्या बोलो,
कंईंया देर लगाई,
राखो शरणागत रो बाबा थोड़ो मान,
भगत थां रै द्वार खड़्यो।।
‘हर्ष’ भगत रै मन री बाबा,
सैं थे जाणो बूझो,
थां रै जिसो दुनिया मांही,
मायत ना है दूजो,
थां रै देख्यां ही इब होसी आराम,
भगत थां रै द्वार खड़्यो।।
थोड़ी पलका नै उघाड़ो बाबा श्याम,
भगत थां रै द्वार खड़्यो।।
लेखक – श्रीविनोद जी अग्रवाल (कोलकाता)
स्वर – स्वाति जी अग्रवाल (कोलकाता)