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थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ,
सेवा में दासी कब से खड़ी।।
साजन दुसमण होय बैठ्या,
लागू सबने कड़ी,
आप बिना मेरो कुन धणी है,
नाव समंद में पड़ी,
सेवा में दासी कब से खड़ी,
थें तो पलक उघाड़ो दीनानाथ,
सेवा में दासी कब से खड़ी।।
दिन नहिं चैण रैण नहिं निदरा,
सूखूँ खड़ी खड़ी,
मैं तो थांको लियो आसरो,
नाव मुण्डक में खड़ी,
सेवा में दासी कब से खड़ी,
थें तो पलक उघाड़ो दीनानाथ,
सेवा में दासी कब से खड़ी।।
पत्थर की तो अहिल्या तारी,
बन के बीच पड़ी,
कहा बोझ मीरा में कहिये,
सौ पर एक धड़ी,
सेवा में दासी कब से खड़ी,
थें तो पलक उघाड़ो दीनानाथ,
सेवा में दासी कब से खड़ी।।
थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ,
सेवा में दासी कब से खड़ी।।
Singer – Lala Ram Saini
प्रेषक – विशाल वशिष्ठ।
7737456667