श्री कुशेश्वर स्त्रोत्र | shri kusheshwar strot

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श्री कुशेश्वर स्त्रोत्र,

सदा वसन्तं गिरिजा-समेतम्,
गणनाथ नाथं,
प्रभु विश्वनाथम्,
करुणा स्वरुपं,
प्रभु सौम्य रूपम् गिरिजा कुशेश्वर,
प्रणमामि नित्यम्।।

कृपा कान्त करुणा स्वरुपं दयालु,
देवाधिदेवं प्रभुप्राणनाथम्,
अनाथस्य नाथं जगद्बन्धु देव,
गिरिजा कुशेश्वर प्रणमामि नित्यम्।।

प्राच्यां सदा कौशिकी श्री स्वरुपम्
प्रतीच्यां च कमला सती संग दिव्यम्,
मध्येविभासित प्रभु सौख्यरुपम्
गिरिजा कुशेश्वर प्रणमामि नित्यम्।।

गले नागराजं सदा दिव्यभालम्
शशि शेखर शूल हस्तेकपालम्,
स्मितब्याघ्र चर्माम्बरंदिव्यमालाम्
गिरिजा कुशेश्वर प्रणमामि नित्यम्।।

वृषारुढ हस्ते त्रिशूलं गम्भीरम्
सदा देवतार्चित उमा संग शम्भू,
हर:दु:ख दारिद्र,पूर्णस्य पूर्णम्
गिरिजा कुशेश्वर प्रणमामि नित्यम्।।

गिरिजा कुशेश्वर स्त्रोत्रं,
य: पठेत्श्रद्धयान्वित:,
ऐश्वर्य श्री प्राप्नोति,
कुशेश्वरस्य प्रसादत:।।

Singer – Hemkant Jha Pyasa
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