माँ अंजनी के राज दुलारे,
श्री राम के काज सँवारे,
चरणों में तेरे वंदन,
चरणों में तेरे वंदन,
माँ अंजनी के राज दुलारें।।
तर्ज – चाहूंगा मे तूझे साँझ सवेरे।
बचपन में सूरज को,
मुख में तूने छिपाया था,
घबरा कर इंद्र ने तुम पर,
वज्र चलाया था,
भूले….. तुम अपनी याददाश्त,
चरणों में तेरे वंदन,
चरणों में तेरे वंदन,
माँ अंजनी के राज दुलारें।।
साधु रूप धर रावण ने जब,
सीता माँ का हरण किया,
पता लगा कर सीता माँ को,
श्रीराम का हाल कहा,
लंका….. को जला के आगये,
चरणों में तेरे वंदन,
चरणों में तेरे वंदन,
माँ अंजनी के राज दुलारें।।
बाण लगा जब लक्ष्मण को,
संजीवनी बूटी लाने गए,
समझें नहीं बूटी को,
पूरा पर्वत ले आये,
श्रीराम…. श्रीराम भक्त हनुमान सुनो,
चरणों में तेरे वंदन,
चरणों में तेरे वंदन,
माँ अंजनी के राज दुलारें।।
भक्त तेरे द्वार खड़े,
सबके संकट हर लेना,
‘विशाल’ की अर्जी यही बाबा,
सब की सुध लेना,
गाता…. गाता रहु गुणगान तेरा,
चरणों में तेरे वंदन,
चरणों में तेरे वंदन,
माँ अंजनी के राज दुलारें।।
माँ अंजनी के राज दुलारे,
श्री राम के काज सँवारे,
चरणों में तेरे वंदन,
चरणों में तेरे वंदन,
माँ अंजनी के राज दुलारें।।