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आंसुओ की लग रही धार,
लखन मोसे बोले ना,
बोले ना रे भैया बोले ना,
आंसुओ की लग रही धार,
लखन मोसे बोलें ना।।
उठा के लखन को गोदी में रखलए,
गोदी में रखलए हाँ,
गोदी में रखलए,
तेरे कहां पे लगो हैं बाण,
लखन मोसे बोलें ना,
आंसुओ की लग रही धार,
लखन मोसे बोलें ना।।
हनुमंत जी लंका को जइयो,
वहां से वैध सुषेण को लईयो,
मेरे भैया की नवज बतइओ,
की लाल मेरो बोले ना,
आंसुओ की लग रही धार,
लखन मोसे बोलें ना।।
हनुमंत जी द्रोणागिरी जईओ,
वहां से संजीवनी बूटी लईओ,
मेरे भैया को घोंट के पिलईओ,
की लाल मेरो बोले ना,
आंसुओ की लग रही धार,
लखन मोसे बोलें ना।।
आंसुओ की लग रही धार,
लखन मोसे बोले ना,
बोले ना रे भैया बोले ना,
आंसुओ की लग रही धार,
लखन मोसे बोलें ना।।