क्यों रूठ गई वृषभान लली हमें तेरा ही एक सहारा है लिरिक्स | kyo ruth gayi vrishbhanu lali lyrics

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क्यों रूठ गई वृषभान लली,
हमें तेरा ही एक सहारा है,
हमें तेरा ही एक सहारा है,
हमें तेरा ही एक सहारा है,
क्यो रूठ गई वृषभानु लली,
हमें तेरा ही एक सहारा है।।

तर्ज – श्यामा आन बसों।

ऐसी कौन सी भूल हुई भारी,
ब्रजमंडल से कर गई न्यारी,
मैं तो सदा से चुकन हारी हूँ,
पर भाव क्षमा का तुम्हारा है,
क्यो रूठ गई वृषभानु लली,
हमें तेरा ही एक सहारा है।।

कब कृपा करोगी मम श्यामलजू,
श्री कृष्णप्रिया अली दामिनी जू,
तुमने सदा ही मुझको पाला है,
आगे भी भरोसा तेरा है,
क्यो रूठ गई वृषभानु लली,
हमें तेरा ही एक सहारा है।।

तुम दीजो वास वृन्दावन में,
नित झाड़ू देऊँगी कुंजन में,
तेरे चरणों में जीवन काटूंगी,
तेरा धाम प्राणो से प्यारा है,
क्यो रूठ गई वृषभानु लली,
हमें तेरा ही एक सहारा है।।

तुम कह दो अब मैं कहाँ जाऊँ,
किस किस की दासी कहलाऊँ,
मुझ जैसे दीन अनाथों के,
लिए खुला तुम्हारा द्वारा है,
क्यो रूठ गई वृषभानु लली,
हमें तेरा ही एक सहारा है।।

क्यों रूठ गई वृषभान लली,
हमें तेरा ही एक सहारा है,
हमे तेरा ही एक सहारा है,
हमें तेरा ही एक सहारा है,
क्यो रूठ गई वृषभानु लली,
हमें तेरा ही एक सहारा है।।

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