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हारे का सहारा तू,
यूं ही ना कहाया है,
हर मुसीबत में तूने ही,
मेरा साथ निभाया है।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा।
जब पकडा मैने बिस्तर,
आके तुने संभाला है,
जब नींद ना आई मुझे,
लोरी गा के सुलाया है,
घबराहट में भी बाबा,
तुने मुझे हसाया है,
हर मुसीबत में तूने ही,
मेरा साथ निभाया है।।
मेरी इस बीमारी को,
कोई समझ ना पाया है,
जब जाँच की पर्ची में,
कुछ भी ना आया है,
ये देख के डॉक्टर का,
सर भी चकराया है,
हर मुसीबत में तूने ही,
मेरा साथ निभाया है।।
जब मन लगा घबराने,
तुने समझाया है,
हर औषध में बाबा,
तु ही नजर आया है,
‘नवयुवक’ ने जीवन में,
हर क्षण तुझको गाया है,
हर मुसीबत में तूने ही,
मेरा साथ निभाया है।।
हारे का सहारा तू,
यूं ही ना कहाया है,
हर मुसीबत में तूने ही,
मेरा साथ निभाया है।।