एक तो नैना कटीले तेरे साँवरे,
दोहा – मोहन नैना आपके,
नौका के आधार,
जो जन इनमें बस गए,
सो जन है गए पार।
एक तो नैना कटीले तेरे साँवरे,
उसपे नैनो का कजरा दीवाना करे,
कौन है जो कि नजरों का घायल न हो,
क्या करे हम दीवाने या क्या ना करे,
एक तो नैना कटीले तेरे सांवरे।।
तर्ज – हाल क्या है दिलों का।
एक तो अधरों की मुस्कान कुछ कम न थी,
बांसुरी की मधुर तान कुछ कम न थी,
उसपे नैनों का जादू चलाते हो तुम,
उसपे नैनों का जादू चलाते हो तुम,
तो बताओ की क्या ये जमाना करे,
एक तो नैना कटीले तेरे सांवरे।।
जबसे तेरी नजर पे नजर टिक गई,
इक झलक के लिए जिंदगी बिक गई,
सारी दौलत नहीं काम करती है जो,
सारी दौलत नहीं काम करती है जो,
जो तुम्हारी नजर का मिलाना करे,
एक तो नैना कटीले तेरे सांवरे।।
तुम नहीं जानते दर्द होता है क्या,
जानते गर लुटे होते तुम भी कहीं,
ऐसे दुखता है दिल जो नजर हट गई,
ऐसे दुखता है दिल जो नजर हट गई,
दर्द ज्यूँ जख्म कोई पुराना करे,
एक तो नैना कटीले तेरे सांवरे।।
एक तो नैना कटीले तेरे सांवरे,
उसपे नैनो का कजरा दीवाना करे,
कौन है जो कि नजरों का घायल न हो,
क्या करें हम दीवाने या क्या ना करे,
एक तो नैना कटीले तेरे सांवरे।।