दिव्य दंपति की आरती उतारो हे अली | divya dampati ki aarti lyrics

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दिव्य दंपति की आरती,
उतारो हे अली,
राजे नंद जू के लाल,
वृषभान की लली,
दिव्य दंपत्ति की आरती,
उतारो हे अली।।

पद नख मणि चंद्रिका की,
उज्जवल प्रभा,
नील पीत कटी पट रहे,
मन को लुभा,
कटि कौंधनी की शोभा,
अति लगती भली,
दिव्य दंपत्ति की आरती,
उतारो हे अली।।

नाभि रुचिर गंभीर,
मानो भंवर पड़े,
उर कौस्तुभ श्रीवत्स,
भृगु पद उभरे,
वनमाल उर राजे,
कंबू कंठ त्रिवली,
दिव्य दंपत्ति की आरती,
उतारो हे अली।।

शेष चंद्रमा मुकुट,
त्रिभुवन धनी के,
अंग अंग दिव्य भूषण,
कनक मणि के,
सोहे श्यामा कर कंज,
श्याम कर मुरली,
दिव्य दंपत्ति की आरती,
उतारो हे अली।।

चितवनि मुस्कनी,
प्रेम रस बरसे,
हिय हरषि नारायण,
चरण परसे,
जय जय कहि बरसे देवता,
सुमन अंजली,
दिव्य दंपत्ति की आरती,
उतारो हे अली।।

दिव्य दंपति की आरती,
उतारो हे अली,
राजे नंद जू के लाल,
वृषभान की लली,
दिव्य दंपत्ति की आरती,
उतारो हे अली।।

स्वर – श्री राम स्वरुप शर्मा जी।

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