दीक्षा दिवस है सिणधरी नगरे श्री जिन मनोज्ञ सुरिवर का | diksha diwas hai sindhari nagre lyrics

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दीक्षा दिवस है सिणधरी नगरे,
श्री जिन मनोज्ञ सुरिवर का,
सुविहित संयम स्वर्णोउत्सव है,
श्री जिन मनोज्ञ सुरिवर का,
गुरु भक्तो में हर्ष समाया,
आया शुभ मंगल अवसर है,
जिनशासन की शान,
माँ देमी नंदन है,
एकावनवां दीक्षा दिवस है,
झुमे धरती झुमें गगन है,
छाई गुरु भक्ति की लहर है।।

ऐसे निराले है संत,
ज्यो लागे अरिहंत,
मुख मुद्रा ये मन को मोहे,
शांत सरल स्वभाव में रहे,
वैराग्य पथ पर बढ़ते जा रहे बस,
मुक्ति का लिये ये लक्ष्य है,
गुरु भक्तो में हर्ष समाया,
आया शुभ मंगल अवसर है।।

है सौभाग्य हमारा,
मिला आशीष तुम्हारा,
गुरुवर तू ही सहारा,
तू ही प्राणों से प्यारा,
हम भक्तो पे तेरी महर,
स्वीकारो बधाई गुरूवर,
दीक्षा दिवस का शुभ अवसर,
स्वीकारो बधाई गुरूवर,
युग युग जियो गुरुवर मेरे,
‘दिलबर’ ये प्राची कहे,
गुरु चरणों मे सदा ही रहे,
गुरु भक्तो में हर्ष समाया,
आया शुभ मंगल अवसर है।।

दीक्षा दिवस है सिणधरी नगरे,
श्री जिन मनोज्ञ सुरिवर का,
सुविहित संयम स्वर्णोउत्सव है,
श्री जिन मनोज्ञ सुरिवर का,
गुरु भक्तो में हर्ष समाया,
आया शुभ मंगल अवसर है,
जिनशासन की शान,
माँ देमी नंदन है,
एकावनवां दीक्षा दिवस है,
झुमे धरती झुमें गगन है,
छाई गुरु भक्ति की लहर है।।

गायिका – प्राची जैन मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365

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