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बेगी अइयो रे पवनसुत,
बेगी अइयो रे।।
देखे – बूटी ले आओ हनुमान प्यारे।
शक्ति बाण लगे लक्ष्मण को,
राम धरे ना धीर,
दिन के उगत किरण के फूटत,
प्राण जाएंगे छूट,
पवनसुत बेगी अइयो रे।।
द्रोणागिरी की मूल संजीवन,
लेने गए हनुमान,
मूल संजीवन ला ना पाए,
भरत चला दए बाण,
पवनसुत बेगी अइयो रे।।
भले करे मेरे भरत भैया,
भला चला दए बाण,
उते गिरे मेरे लक्ष्मण भैया,
उते गिरे हनुमान,
पवनसुत बेगी अइयो रे।।
इतने वचन सुने हनुमत के,
भरत रहे सकुचाय,
बैठ जाओ तुम बाण की नोक पे,
अभी देउँ पहुंचाय,
पवनसुत बेगी अइयो रे।।
बेगी अइयो रे पवनसुत,
बेगी अइयो रे।।