बहुत नाज करते हैं रहमत पे हम,
बहुत नाज करते है रहमत पें हम,
सलामत रहे तेरी नजरे करम,
बहुत नाज करते है रहमत पें हम।।
तर्ज – बहुत प्यार करते है।
जिधर देखते है उधर तु ही तु है,
हर इक शय में जलवा तेरा हुबहू है,
जमाना दीवाना हो के चूमे चरण,
बहुत नाज करते है रहमत पें हम।।
रहमतों का नहीं है ठिकाना,
हे दीदार तेरा दया का खजाना,
सभी शहंशाह तेरा भरते है दम,
बहुत नाज करते है रहमत पें हम।।
बहुत शुक्रिया हे बड़ी मेहरबानी,
बसर हो रही है मेरी जिंदगानी,
तुम्हारी रजा में राजी है हम,
बहुत नाज करते है रहमत पें हम।।
तेरी रहमतों के कर्जदार है हम,
गुनाहों पे अपने शर्मसार हैं,
हम मधुक खा रहा है यही एक गम,
बहुत नाज करते है रहमत पें हम।।
बहुत नाज करते हैं रहमत पे हम,
बहुत नाज करते है रहमत पें हम,
सलामत रहे तेरी नजरे करम,
बहुत नाज करते है रहमत पें हम।।
गायक – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।
प्रेषक – शेखर चौधरी।
मो – 9754032472}]