आंधी के चलते अटकी,
या तूफान के चलते,
कैसे अटकी नैय्या,
मेरे श्याम के चलते।bd।
तर्ज – हनुमान को खुश करना।
बिन पानी चला दे जो,
भक्तों की नैय्या है,
कहती सारी दुनिया,
बस श्याम कन्हैया है,
सौंपी है तुमको नैय्या,
तेरे नाम के चलते,
कैसे अटकी नैय्या,
मेरे श्याम के चलते।bd।
क्या पेशा छोड़ दिया,
तूने पार लगाने का,
या तरीका भूल गए,
पतवार चलाने का,
या समय नही मिलता है,
आराम के चलते,
कैसे अटकी नैय्या,
मेरे श्याम के चलते।bd।
दरबार हजारों है,
सरकार हजारों है,
तकलीफ में रहते,
परिवार हजारों है,
ये काम तुम्हे मिलता है,
तेरे काम के चलते,
कैसे अटकी नैय्या,
मेरे श्याम के चलते।bd।
‘बनवारी’ चाहो तो,
वादे से फिर जाओ,
डूबे इससे पहले,
नैय्या से उतर जाओ,
क्यों नाम पे दाग लगाए,
इस नादान के चलते,
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कैसे अटकी नैय्या,
मेरे श्याम के चलते।bd।
आंधी के चलते अटकी,
या तूफान के चलते,
कैसे अटकी नैय्या,
मेरे श्याम के चलते।।
स्वर / रचना – श्री जयशंकर जी चौधरी।
प्रेषक – भजन लाल वर्मा।
(गाजियाबाद) 9871208918}]